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लेखनी कहानी -02-Feb-2024 मजबूर जज

शीर्षक =मजबूर जज

"तुम साथ चल रही हो या नही " अँधेरे कमरे में गुमसुम सी बैठी अपनी पत्नि आरती से उनके पति आलोक जी ने कहा जो की पेशे से एक जज है

"आपको बिलकुल भी दया नही आ रही है आपका सीना बिलकुल भी नही पसीस रहा है आप कैसे मुझसे इस तरह चलने का कह सकते है " थोड़ा गुस्से से देखते हुए आरती ने कहा सामने खडे अपने पति से

"मैं एक जज हूँ और मेरा काम इंसाफ करना है जो मैं करके रहूंगा तुम आ सकती हो तो आ जाओ वरना यूं ही कमरे में बैठी रहो जो होना था वो हो गया जो कालिख हमारे माथे पर पुतना थी वो पुत चुकी है अब शायद ये इंसाफ करके ही इस कालिख को अपने माथे से हटाया जा सकता है " आलोक जी ने कहा थोड़ा गुस्से से।

"जज से पहले आप एक पिता भी हो जिसे सजा सुनाने जा रहे हो वो कोई और नही हमारा इकलौता बेटा है ये आप क्यू नही सोच रहे भगवान के लिए अब भी समय है उसे बचा लीजिये मैं उसे लेकर बहुत दूर चली जाउंगी " आरती जी ने कहा

"नही आरती मैं मजबूर हूँ मुझे इंसाफ की कुर्सी पर इंसाफ करने के लिए बैठाया गया है फिर चाहे गुनेहगार मेरा बेटा ही क्यू न हो मुझे इंसाफ करना ही पड़ेगा इस तरह की बातें करके मुझे गुनेहगार मत बनाओ उसकी जगह कोई और भी होता तो भी मैं इंसाफ ही करता जिस काम के लिए मुझे पैसे मिलते है सारे सबूत इस बात की और इशारा करते है कि उस रात हमारे बेटे ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर उस लड़की का सामूहिक बलात्कार किया और उसे मरने के लिए वही छोड़ गए जहाँ कुछ देर दर्द और तकलीफ सहने के बाद उसने दम तोड़ दिया तुम बताओ मैं कैसे उस लड़की को इंसाफ न दिलाऊ उस लड़की की माँ की आँखों में जो उसकी बेटी को इंसाफ मिलने की उम्मीद है उसे कैसे मरने दू सिर्फ इसलिए की गुनेहगार मेरा बेटा है एक जज का बेटा

मेरे लिए भी आसान नही है लेकिन मैं मजबूर हूँ मुझे ये करना होगा शायद हमने अपने बेटे को इकलौता समझ कर कुछ ज्यादा ही छूट दे दी थी जिसका उसने हमें ये सिला दिया " आलोक जी कुछ और कहते तब ही आरती जी बोल पड़ी

"मैं माफ़ी मांग लूंगी उस लड़की की माँ से, उसे अपना सब कुछ दे दूँगी घर पैसा ज़ेवर बस मुझे मेरा बेटा मिल जाये "

क्या तुम अपने बेटे का सौदा रूपये पैसे में कर सकती हो, नही न तो फिर तुम उस माँ से कैसे उम्मीद लगा सकती हो की वो अपनी बेटी के गुनेहगार को माफ कर दे उसे उसके गुनाह की सजा मिलने से रोक ले बस इसलिए की उसकी माँ का वो इकलौता बेटा है, शायद तुम नही जानती जिस माँ से तुम उसकी बेटी की उस दर्दनाक मौत का सौदा करने की बात कर रही हो वो बेटी भी उस माँ की आख़री उम्मीद थी जो उसके घर को चला रही थी लेकिन हमारे नालायक बेटे ने उसे अपनी हवस का शिकार बना कर उस माँ से उसके जीने की उम्मीद छीन ली इस समय नकुल और उसके दोस्त सिर्फ और सिर्फ एक गुनेहगार है और गुनेहगार को सजा मिलकर ही रहती है फिर चाहे वो इंसाफ की कुर्सी पर बैठने वाले जज का बेटा ही क्यू न हो मैं मजबूर हूँ चाह कर भी उसे नही बचा सकता कानून वैसे ही अंधा है लोगो का कानून पर से भरोसा और न उठे इसलिए मुझे अपने बेटे को सजा सुनानी ही पड़ेगी फिर चाहे वो उम्र कैद की हो या फाँसी की मैं अपने कदम पीछे नही हटाऊँगा।

सोचो अगर भगवान ने हमें भी एक बेटी दी होती जिसे हम लाड़ प्यार से पालते उसकी हर ख्वाहिश को पूरा करते और फिर एक दिन हमें खबर मिलती की कुछ लोगो ने उसके साथ मिलकर कुकर्म के बाद हत्या करदी तो क्या तुम उसके गुनेहगारो को सजा दिलवाने के लिए अदालत का दरवाज़ा नही खट खटाती क्या तुम नही चाहती उसके गुनेहगारो को सजा मिले उन्हें भी वो सब सहना पड़े जो हमारी बेटी ने सहा होगा उसकी आत्मा को भी शांति मिल जाये अपने गुनेहगारो को सजा मिलते देख बोलो आरती खामोश क्यू ख़डी हो

आरती खामोश थी वो अपने आंसुओ को बहनें से रोक नही पा रही थी वो बस यही सोचने की कोशिश कर रही थी कि आखिर उसकी परवरिश में कहा कमी रह गयी जो उसका बेटा इतना बड़ा गुनाह कर बेटा जिसकी सजा उसे किसी और के हाथों नही बल्कि अपने पिता के हाथों सुनने को मिलेगी

आलोक जी आरती को वही छोड़ अदालत के किए घर से निकल पड़े थे क्यूंकि कार्यवाही का वक़्त हो रहा था और फिर सारे सबूत और गवाह को मद्दे नजर रखते हुए एक जज ने अपने फर्ज को अंजाम देते हुए गुनेहगारो को सजा सुनादी उसने पिता को मारकर इंसाफ को बचा लिया वरना सब यही कहते की जज ने अपने बेटे को बचा लिया अपनी मजबूरी के चलते आखिर नकुल उनका इकलौता बेटा जो था

समाप्त.... प्रतियोगिता हेतु....

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5 Comments

Shnaya

07-Feb-2024 07:48 PM

Nice

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Milind salve

05-Feb-2024 02:35 PM

Nice

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Gunjan Kamal

03-Feb-2024 11:20 PM

सही सीख देती हुई कहानी

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